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REPORT
इंप्रूविंग एयर क्वालिटी मैनेजमेंट थ्रू फॉरकॉस्ट
ए केस स्टडी ऑफ दिल्लीज एयर पोल्यूशन
09 June, 2022 |
अदील खान, उदय सूर्यनारायण, तनुश्री गांगुली, और कार्तिक गणेसन

रिपोर्ट | क्लीन एयर

प्रस्तावित उद्धरण: खान, अदील, उदय सूर्यनारायण, तनुश्री गांगुली, और कार्तिक गणेसन। इंप्रूविंग एयर क्वालिटी मैनेजमेंट थ्रू फॉरकॉस्ट: ए केस स्टडी ऑफ दिल्लीज एयर पोल्यूशन ऑफ विंटर 2021 नई दिल्ली: काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर। 

09 जून, 2022

डिस्क्लेमर : यह मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित रिपोर्ट का हिंदी अनुवाद है। हमने इसके अनुवाद में पूरी सतर्कता बरती है। यदि इसमें कोई भ्रम होता है या भूलवश कोई त्रुटि सामने आती है तो इसका अंग्रेजी संस्करण ही मान्य होगा।

अवलोकन

यह अध्ययन 2021 की सर्दियों में दिल्ली के वायु प्रदूषण की स्थितियों और इससे निपटने के उपायों का मूल्यांकन करता है। 2021 की सर्दी पिछली सर्दियों से बिल्कुल अलग थी, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कमीशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) द्वारा नियंत्रित उपायों को लागू किया गया था। इन उपायों में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) और वायु गुणवत्ता व मौसम संबंधी पूर्वानुमानों के आधार पर विकसित अतिरिक्त आपातकालीन कदम शामिल थे। यह देखते हुए कि आपातकालीन प्रतिक्रिया उपायों में पूर्वानुमान एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, अध्ययन विभिन्न पूर्वानुमानों की विश्वसनीयता का मूल्यांकन करता है। इसके अलावा, यह दिल्ली के वायु गुणवत्ता स्तर पर आपातकालीन उपायों के प्रभावों का भी आकलन करता है। इसमें 2021 की सर्दी में वायु प्रदूषण के प्राथमिक या मुख्य कारकों की भी चर्चा की गई है।

मुख्य निष्कर्ष

  • भले ही वायु गुणवत्ता के पूर्वानुमानों ने प्रदूषण के रुझान को पकड़ लिया है, लेकिन वे अभी तक उच्च प्रदूषण वाले खंडों ('बहुत खराब' और 'गंभीर' वायु गुणवत्ता वाले दिनों) की बहुत सटीक भविष्यवाणी करने में सफल नहीं हो पाए हैं।
  • जब ट्रकों के प्रवेश, निर्माण व विध्वंस गतिविधियों पर पर प्रतिबंध के साथ अन्य प्रतिबंधों को लागू किया गया था, तब वायु गुणवत्ता 'गंभीर +' श्रेणी में नहीं आई थी। हालांकि, जब सभी प्रतिबंधों को एक साथ लागू किया गया तो हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' से 'खराब' श्रेणी में आ गई, जिसमें बेहतर मौसम परिस्थितियां सहायक रही।
  • लेकिन, जब प्रतिबंधों को हटा लिया गया तो हवा की गुणवत्ता वापस 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई, जिसके चलते सीज़न का सबसे लंबा छह दिनों का 'गंभीर' वायु गुणवत्ता वाला दौर सामने आया।
  • दिल्ली की शीतकालीन वायु गुणवत्ता में 2019 के बाद से कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है। 2021 की सर्दी में, लगभग 75 प्रतिशत दिनों में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी के बीच रही थी।
  • 2021 की सर्दी में, वायु प्रदूषण में परिवहन (लगभग 12 प्रतिशत), धूल (लगभग 7 प्रतिशत) और घरेलू बायोमास बर्निंग (लगभ 6 प्रतिशत) सबसे बड़े स्थानीय योगदानकर्ता थे।
  • दिल्ली का लगभग 64 प्रतिशत शीतकालीन वायु प्रदूषण दिल्ली की सीमाओं के बाहर से आता है।

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रिसर्च एनालिस्ट
“मौजूदा पूर्वानुमानों ने सटीक वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान करने की क्षमता दिखाई है और इन्हें उच्च प्रदूषण के पूर्वानुमान वाले दिनों के दौरान उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले उपायों को लागू करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके अलावा, प्राधिकरणों को स्थानीय निवासियों को वायु प्रदूषण वाले तत्वों, योगदान करने वाले स्रोतों और संबंधित पूर्वानुमानों की जानकारी देने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के उपयोग पर विचार करना चाहिए। यह शहर में लोगों के वायु प्रदूषण की चपेट में आने के जोखिम और गतिविधि को सीमित करने में सहायता करेगा।”
कार्यकारी सारांश

हर बार सर्दी का मौसम बीतने के साथ, दिल्ली में वायु प्रदूषण का तत्काल समाधान निकालने की जरूरत और ज्यादा बढ़ जाती है।

2021 की सर्दी के दौरान, सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली सरकार और कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन द एनसीआर एंड एडज्वाइनिंग एरिया (CAQM), सभी ने मिलकर बढ़ते प्रदूषण स्तर की रोकथाम के लिए सक्रियता से कदम उठाए थे। इनमें पॉवर प्लांट्स को बंद करने, दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश रोकने और स्कूलों में छुट्टी करने के अलावा आपातकालीन उपायों को सक्रियता के साथ लागू करने में पूर्वानुमानों के उपयोग करने जैसे कई कदम शामिल थे। हालांकि, इन हस्तक्षेपों से दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर कितना प्रभाव पड़ा था, यह अतिरिक्त जांच का विषय है।

इस अध्ययन के माध्यम से, हमारा लक्ष्य यह पता लगाना है कि इस मौसम में कौन से उपाय प्रभावी या निष्प्रभावी रहे। जैसा कि प्रत्येक वर्ष होता है, प्रदूषण स्तर को बढ़ाने और घटाने, दोनों में मौसमी परिस्थितियां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

प्रदूषण स्तर पर मौसमी परिस्थितियों के प्रभाव का आकलन करने के लिए, हमने अक्टूबर से जनवरी तक के महीनों में मौसम संबंधी मानदंड़ों के सामानांतर प्रदूषण स्तर का विश्लेषण किया। 2021 की सर्दी में प्रदूषण में वृद्धि करने वाले कारणों को समझने के लिए, हमने मौसम बीतने के साथ विभिन्न प्रदूषण स्रोतों के योगदानों में आने वाले बदलावों की भी निगरानी की।

भले ही पूर्वानुमानों के आधार पर पूर्व-निर्धारित कार्ययोजना को लागू करना सही दिशा में कदम था, लेकिन पूर्वानुमानों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करके उन्हें निर्णयन प्रकिया से जोड़ना एक पूर्व-आवश्यकता (Prerequisite) है। हमने जमीन पर दर्ज सघनता से तुलना करके पूर्वानुमानों के प्रदर्शन का भी मूल्यांकन किया है। हमने पूर्वानुमानों के अनुरूप जारी हुए आपातकालीन निर्देशों के समय और प्रभावशीलता का भी अध्ययन किया है।

हमने इन आंकड़ों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के रियल टाइम एयर क्वालिटी डेटा पोर्टल और ECMWF रिएनालिसिस V5 (ERA5) द्वारा उपलब्ध कराई गई मौसम संबंधी सूचनाओं से प्राप्त किया है। मॉडल आधारित सघनता और स्रोतों के योगदानों की जानकारी के लिए, हमने दिल्ली की एयर क्वालिटी अर्ली-वॉर्निंग सिस्टम (AQ-EWS) (3-दिन और 10-दिन), दिल्ली में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए ‘डिसीजन सपोर्ट सिस्टम’ (DSS) और अर्बन इमीशन्स डॉट इन्फो (UE) सहित वायु गुणवत्ता पूर्वानुमानों के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग किया है।

Source: Authors’ analysis, data from Central Pollution Control Board (CPCB).
Note: Air quality index (AQI) for the day is calculated using the PM2.5 concentration at the same stations with a minimum of 75 per cent of the data being available.

ए. 2021 की सर्दी के दौरान, 75 प्रतिशत दिनों में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' से लेकर 'गंभीर' श्रेणी के बीच रही

पिछले तीन वर्षों (चित्र ES1) में सर्दी के दौरान ‘गंभीर’ और ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। वर्ष 2021 की सर्दी के दौरान (15 अक्टूबर 2021 - 15 जनवरी 2022), लगभग 75 प्रतिशत दिनों में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी के बीच रही। रोचक यह है कि 2020 की तुलना में 2021 में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में खेतों में आग जलने के ज्यादा मामले सामने आए, इसके बावजूद 2021 में पराली जलने की अवधि (यानी 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक) के दौरान दिल्ली में PM2.5 की सघनता 2020 की तुलना में कम रही। यह मुख्य रूप से बेहतर मौसमी परिस्थितियों जैसे इस अवधि में तेज हवा चलने और बारिश के दिनों की संख्या ज्यादा रहने के कारण हुआ।

बी. क्षेत्रीय प्रभाव वाले कारक

वायु प्रदूषण के सबसे बड़े स्थानीय स्रोतों में परिवहन, धूल और घरों में बायोमास जलाना शामिल है। हमने पाया है कि दिल्ली का 64 प्रतिशत शीतकालीन प्रदूषण भार उसकी सीमाओं के बाहर से आता है। (चित्र ES2)(a)। यूई के अनुसार, पराली को जलाने की समयावधि के दौरान कृषि अपशिष्ट को जलाने और सर्दी बढ़ने पर गरमाहट व खाना पकाने जैसी जरूरतों के लिए आग जलाने को शहर के बाहर से आने वाले वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत माना जाता है। (चित्र ES2)(b)। स्थानीय स्तर पर, परिवहन (12 प्रतिशत), धूल (7 प्रतिशत) और घरों में बायोमास दहन (6 प्रतिशत) शहर के PM2.5 प्रदूषण भार में सबसे ज्यादा योगदान करते हैं। परिवहन और धूल, शहर में प्रदूषण के बारहमासी स्रोत हैं, जबकि घरों में गर्माहट के लिए आग जलाना एक मौसमी स्रोत है। हालांकि, यह मौसमी योगदान बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती हैं, दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में गर्माहट के लिए बायोमास दहन बढ़ने लगता है, और 15 दिसंबर तक आवासीय क्षेत्र वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन जाता है (चित्र ES2(b)। यह स्थिति बताती है कि घरों में खाना पकाने और गर्माहट के लिए स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहन देने वाले कार्यक्रमों में बदलाव करने की जरूरत है।

सी. पूर्वानुमानों ने प्रदूषण के रुझानों का पता लगा लिया, लेकिन उच्च प्रदूषण वाले अवधि का पूर्वानुमान नहीं कर पाया

Figure ES 2(a) Transport, dust, and domestic biomass burning are the largest local contributors to the PM2.5 pollution load in Delhi

Source: Authors’ analysis, source contribution data from DSS and UE.
Note: Modelled estimates of relative source contributions retrieved from UE and DSS.

Figure ES 2(b) Both local and regional sources need to be targeted for reducing Delhi’s pollution

Source: Authors’ analysis, source contribution data from UE.
Note: Source contribution data retrieved from UE district products which have larger geographical cover and lower resolution.

एक से अधिक पूर्वानुमानों की उपलब्धता निर्णयकर्ताओं को कोई एक विकल्प चुनने की सुविधा देती है, लेकिन इसी के साथ यह प्रभावी जमीनी कार्रवाई करने में एक बाधा भी है। पूर्वानुमान करने वालों से निर्णयकर्ताओं तक प्रासंगिक सूचनाओं के प्रसार को सुव्यवस्थित बनाने के लिए, यह जरूरी है कि पूर्वानुमानों का विश्लेषण और उनकी विश्वसनीयता का आकलन किया जाए। हमने पाया कि सभी पूर्वानुमानों ने प्रदूषण के रुझानों की सटीक पहचान की (चित्र ES3), लेकिन भविष्य में प्रदूषण के विभिन्न चरणों ('गंभीर' और 'बहुत खराब' वायु गुणवत्ता वाले दिन) के पूर्वानुमानों में उनकी सटीकता घटती चली गई।

डी. भले ही पांबदियां लगाने के लिए पूर्वानुमानों का उपयोग किया गया, लेकिन प्रतिबंधों को हटाने का समय गलत था

नवंबर से दिसंबर 2021 के दौरान, दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के अलावा CAQM ने निर्देशों और आदेशों के जरिए कई आपातकालीन उपायों को लागू किया था। सर्वोच्च न्यायालय ने भी समय-समय पर वायु प्रदूषण पर कार्रवाई करने के लिए प्राधिकारियों को निर्देश दिए थे।

सबसे पहले, CAQM ने समय और आवश्यकता के अनुसार आपातकालीन कदमों को उठाने के लिए वायु गुणवत्ता और मौसम संबंधी पूर्वानुमानों का उपयोग किया था। 16 नवंबर 2021 को पहले चरण के प्रतिबंध लगाए गए थे, और केवल औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध को छोड़कर, अन्य सभी प्रतिबंध 20 दिसंबर 2021 तक हटा दिए गए थे।

इस दौरान, AQ-EWS (3-दिन) को छोडकर, सभी पूर्वानुमानों में PM2.5 का स्तर कम दिखाया गया था। इसलिए, पूर्वानुमानित और मापी गई सघनता के बीच में अंतर के कारण, प्रतिबंधों की प्रभावशीलता का निर्णायक रूप से आकलन संभव नहीं है। इसलिए, लागू किए गए हस्तक्षेपों के प्रभावों का अनुमान लगाने के लिए, कई मॉडल या विभिन्न मॉडलिंग प्रयोग करने की जरूरत होती है।

इस पर ध्यान देना चाहिए कि प्रतिबंध की अवधि के दौरान वायु गुणवत्ता 'गंभीर से ऊपर' (Severe +) श्रेणी से नीचे नहीं आई थी। इसके अलावा, जब बेहतरीन मौसमी परिस्थितियों के साथ सभी प्रतिबंध लागू थे, तब भी वायु गुणवत्ता में 'गंभीर' से 'खराब' श्रेणी का ही सुधार हुआ था। दिसंबर में 'गंभीर' श्रेणी की वायु गुणवत्ता का पहला लंबा दौर 21 दिसंबर से 26 दिसंबर के बीच सामने आया था। भले ही पूर्वानुमानों में इस अवधि के दौरान उच्च प्रदूषण स्तर की चेतावनी दी गई थी, फिर भी औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध को छोड़कर सभी अन्य प्रतिबंधों को हटा दिया गया था। इसके बाद लगातार छह दिनों तक PM2.5 का स्तर 250 µgm-3 से ऊपर बना रहा, जिसके चलते इसे 'गंभीर' श्रेणी की वायु गुणवत्ता में मौसम का सबसे लंबा दौर माना गया (चित्र ES4)।

Figure ES4 The lifting of the restrictions was ill-timed with high pollution levels forecasted in the following days

Source: Authors’ analysis, data from Central Pollution Control Board (CPCB).
Note: C&D stands for construction and demolition activities. Work from home (WFH) stands for the 50% cap on employee attendance in the office. Industrial restrictions stand for compulsory switching over to Piped Natural Gas (PNG) or other cleaner fuels within industries and non-compliant industries being allowed to operate restrictively.

सुझाव

उपरोक्त चर्चा इस बात को रेखांकित करती है कि वर्ष 2021 की सर्दी में आपातकालीन कदम उठाने के बावजूद, वायु गुणवत्ता संतोषजनक स्तर से काफी दूर थी। आपातकालीन प्रतिक्रियाओं को पूर्वानुमानित स्रोत योगदानकर्ताओं के अनुरूप बनाने से वायु गुणवत्ता पर ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है। हमारा अध्ययन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) और CAQM योजना में सहायता करने और आपातकालीन उपायों को बेहतर कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को अपनाने का सुझाव देता है:

  • GRAP कार्यान्वयन अनिवार्य रूप से पूर्वानुमानों से प्राप्त मॉडल स्रोत योगदानों पर आधारित और उसी के अनुरूप समयबद्ध होना चाहिए। इससे विभिन्न गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए अस्थायी आपातकालीन निर्देशों की आवश्यकता खत्म हो जाएगी। उदाहरण के लिए, जब वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' होने का पूर्वानुमान आए, तब निजी वाहनों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, क्योंकि परिवहन वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है।
  • गर्माहट (हीटिंग) और खाना पकाने (कुकिंग) जैसे उद्देश्यों के लिए बायोमास के उपयोग का पता लगाने के लिए एनसीआर और आसपास के आवासीय क्षेत्रों में निश्चित तौर पर एक सर्वेक्षण या आकलन करना चाहिए। इसके आधार पर एक लक्षित समर्थन तंत्र की आवश्यकता है, ताकि घरों और अन्य लोगों को खाना पकाने व गर्माहट के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने की सुविधा मिल सके। स्थानों को गर्म करने (स्पेस हीटिंग) के अन्य विकल्पों का आकलन करने और उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से वायु गुणवत्ता के पूर्वानुमानों को जनता तक पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि उन्हें अनावश्यक यात्रा से बचने और घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनने जैसे निवारक उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इससे शहर में लोगों को वायु प्रदूषण के चपेट में आने और अपनी गतिविधियों को घटाने में मदद मिलेगी।
  • पूर्वानुमान मॉडल्स में जमीनी स्तर के आंकड़ों और आवश्यक बातों को जोड़ने की जरूरत है। सोशल मीडिया पोस्ट (टेक्स्ट और फोटो), सार्वजनिक स्थानों की कैमरे से मिली तस्वीरों जैसे स्रोतों और समीर (SAMEER), ग्रीन दिल्ली व एसडीएमसी-311 जैसे प्रदूषण शिकायत पोर्टल से प्रदूषण स्रोतों के बारे में लगभग रियल-टाइम सूचनाएं मिल सकती हैं। इसके बाद, हालिया दिनों या हफ्तों के आधार पर, प्रदूषणकारी गतिविधियों के समेकित प्रतिनिधित्व मॉडल को इनपुट के रूप में उपयोग किया जा सकता है। अंत में, एनसीटी/एनसीआर के लिए प्रदूषण स्रोतों की जानकारियों की सूची (क्राउड-सोर्स्ड इमीशन इनवेंट्री) मॉडल के यूजर और नीति निर्माताओं को समान रूप से लाभ पहुंचाएगी, साथ में प्रदूषण को घटाने के प्रयासों को भी पारदर्शी बनाएगी।
  • एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से सभी उपलब्ध वायु गुणवत्ता पूर्वानुमानों को जोड़ने से इनकी सटीकता को सुधारने और मॉडलिंग करने वालों के बीच तालमेल बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

 

डिस्क्लेमर : यह मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित रिपोर्ट का हिंदी अनुवाद है। हमने इसके अनुवाद में पूरी सतर्कता बरती है। यदि इसमें कोई भ्रम होता है या भूलवश कोई त्रुटि सामने आती है तो इसका अंग्रेजी संस्करण ही मान्य होगा।

 

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